कहाँ मर गई,???कब से बुला रहीं हूँ.....कान में तेल डाले बैठी है क्या????जल्दी से बिट्टू के लिए खाना लगा दे.....देर हो रही हैं इसे....
धाय माँ......वो घर में होगी तो सुनेगी ना???गई होगी कहीं समाजसेवा करने!!! आपने ही तो सर चढ़ा रखा हैं इसे....!!!मैडम के तेवर देखों...!सीधे मुँह बात तक नहीं करतीं जैसे कहीं की राजकुमारी हो!!! बिट्टू ने कहा
आए हाए तेरा पेट क्यूँ दुख रहा हैं.....???वो हैं ही ऐसी...गल्तियां करते देखा है उसे कभी???कभी किसी का दिल नहीं दुखाती....कभी किसी को किसी भी काम से मना नहीं करतीं...सुरत और सीरत दोनों बेमिसाल हैं मेरी गौरैया की!!!धाय माँ....नाम इनका वृंदा हैं.....पर पुरा गाँव धाय माँ के नाम से जानता हैं......
बस....बस....बस....धाय माँ आपको तो मौका मिला नहीं कि आप शुरू...!!!!हाथ जोड़कर बिट्टू उर्फ ब्रजेश गुप्ता ने कहा.... गौरी के तारीफ़ो का पुलिंदा बंद करो और मुझे खाना दो....जल्दी से....!
इतने में पायल की रूनझुन से पुरा गलियारा गूंज उठा.....एक तेईस- चौबीस साल की लड़की एक टोकरी में ढेर सारी कैरी लिए रसोईघर में हाँफते हुए घुसती हैं...!साँवले से मुखड़े पर दुनिया जहान की मासूमियत ....सादा से सलवार सूट में भी उसकी खुबसूरती निखर रही थी..केशों को चोटी में समेटे हुए थी......!!!
रसोईघर में घुसते ही टोकरी रख....मटका छूने लगतीं हैं......पानी पीने के लिए!
अररररररे रूक गौरी...!!!कितनी बार कहा हैं कि बाहर से आकर रसोईघर में बिना हाथ धोये कुछ ना छुआ कर!तू तो मेरा पुरा धर्म भ्रष्ट करने पर तुली हुई हैं.....!!
ओ हो धाय माँ.....कितनी बार कहा हैं कि, मेरे हाथ साफ रहते हैं हमेशा....पर तुम तो नाआआआ....बससस....छुआ-छूत में ही अटक जाती हो.....!
अच्छा यें लो....बजरंगी चाचा के बगीचे की कैरीयां.... सच पुरे गाँव में बजरंगी चाचा के बगीचे के समान कैरी कहीं नहीं लगतीं!!!
पर उस कंजूस बजरंगी ने तुझे इतनी टोकरी भर कैरी कैसे दे दी.....???धाय माँ ने पूछा
याद है तुम्हें....मैंने बजंरगी चाचा के बेटे को पढ़ाया था???.....उसकी परीक्षा थी जब.....आज परीक्षा का रिजल्ट आया हैं ....उनके लड़के को परीक्षा में सत्तर प्रतिशत अकं मिले है....वो बहुत खुश थे...कि इस बार उनका लड़का फ़ेल नहीं हुआ और पास भी इतने अच्छे नंबर से हुआ है.... .वो पैसे देने लगें तो मैंने कैरी मांग ली...!तुम उस दिन बोल रही थी ना इस बरस आचार डालेंगे..!!काफ़ी लोगों ने मांगा हैं...!
पर बिटियाँ...पैसे ले लेती ना...तुझे चाहिए ना पैसे तेरे लिए मोबाइल फोन लेने....!!तेरी पढ़ाई के लिए मोबाइल जरूरी है ना....?
हाँ हैं ना....पर माँ....घर की जरूरत भी तो हैं ना....तुम्हारे हाथों का आचार अच्छें दाम में बिकता हैं....और फिर अबकी बार तो बड़ी हवेली से मांग आई है तुम्हारे आचार की....तुम आचार डाल दो तो मैं जाकर दे आऊंगी....!!दाम बता देना कितना लेना हैं..???हाथ मुँह धोते हुए गौरी ने कहा
अरे बिट्टू भईया आप काम पर नहीं गए अभी तक??लेट नहीं कर दिया आज आपने???
नहीं नहीं....लेट नहीं हुआ....आज शाम को सुख्खी जल्दी जाने वाला हैं तो मैं नौ बजे तक काम करूँगा!!!अभी मेरी पारी में वो जल्दी आकर काम कर रहा हैं...हमने कल ही घनश्याम चाचा को बता दिया था...!!!
अच्छा....!!!!भईया आपको थोड़ा समय और हैं क्या???गौरी ने पूछा
हाँ हैं ना..बोल?खाना खाते खाते बिट्टू ने कहा
वो गीता चाची हैं ना...बरगद के पेड़ के पास उनका घर हैं आप जानतें हो ना....
हमममम....जानता हूँ!!!
उनकी बहू की डिलीवरी होने वाली हैं कल परसो में ही ....मैंने कुछ झबले और पोतडे बनाए हैं....आप जाते जाते उन्हें देते हुए चले जाओ ना...!!चाची का मोतियाबिंद का आपरेशन हुआ हैं ना तो उन से नहीं बने होंगे...!!
क्यूँ री तुझे गीता ने कहा था क्या बनाने???धाय माँ ने पूछा
नहीं माँ पर मुझे मालूम था ना कि काकी का आपरेशन हुआ हैं....तो मैंने खुद ही बना दिए....!!!पिछले महीने तुमने सौ रूपए दिए थे ना उससे दो मीटर कपडा लेकर आई थी मैं....
पर वो पैसे तो तुझे चप्पल लाने दिए थें...!!!!मतलब तू चप्पल लाई ही नहीं???
देखों माँ मैंने उसी चप्पल को सुंदर सी लेस लगा कर नया सा कर लिया हैं!!!!
हे राममम....!!!क्या करूँ मैं तेरा गौरी???तुझे कभी खुद की सुधि भी होती हैं????गौरी को चपत लगाते हुए धाय माँ ने कहा
मेरी सुध लेने...तुम और भईया हो ना...!!!अब जल्दी से मुझे भी खाना दे दो....बहुत भूक लग गई हैं....मैं बस दो मिनट में भईया को गीता चाची का सामान लाकर देतीं हूँ....!!!!कहते हुए गौरी बाहर भाग गई
देख रहा है न तु बिट्टू???इस लड़की को अपने हो या पराए सबकी फिक्र और चिंता हैं!कौन कहेगा यें लड़की इतनी पढ़ी लिखी हैं....और वकालत पास करने वाली हैं कुछ ही दिनों में.....
हाँ माँ.....ये बिलकुल बाबा की परछाई हैं....बस इतनी सी फिक्र है कि इसकी किस्मत भी बाबा जैसी ना हो! उन्होंने भी अपनी पूरी जिंदगी औरों की भलाई में लगा दी और बदले में उन्हें क्या मिला..जिल्लत और.....खुदक......
चुप हो जा...गौरी आ रही हैं...गौरी की पायल की आवाज़ सुन धाय माँ ने कहा
लो भाई ये दे देना गीता चाची को और उन्हें पूछ लेना और कुछ चाहिए तो? मैं सब बना दूँगी....
हमम...अच्छा ठीक हैं..!चल मैं निकलता हूँ अब....माँ मैं आता हूँ रात को 9.30 बजे तक.....इतना कह बिट्टू निकल जाता हैं
चलो माँ हम भी खाना खा ले फिर हम आचार के लिए कैरी काट लेंगे....!!
बिलकुल नहीं....तू चुपचाप बैठ कर पढ़ाई करेंगी....इस तरह घर के काम में उलझी रहीं तो तू बड़ी अफ़सर कैसे बनेंगी???
उसकी तो तुम फिक्र मत ही करों!!मुझे अफ़सर बन ने से कोई नहीं रोक सकता....!!मैं बहुत जल्द पूरी दुनिया में चमकने वाली हूँ...बहोत जल्दी हर तरफ यहीं खबर होगी कि......उत्तर प्रदेश के गुमानपुरा नाम के छोटे से गाँव की रहने वाली गौरी शिवशंकर गुप्ता ने.....भारतीय न्यायिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया....!!!!
और मैं सब का आभार...करतें हुए ऐसे अदब से झुक जाऊँगी.....!!!झुकने की ऐक्टिंग करते हुए गौरी ने कहा
ईश्वर तेरा हर सपना पुरा करें मेरी लाड़ो...!!!!
बिलकुल करेगा.....अब जल्दी से खाना दे दो.....पेट में ना चूहे और बिल्ली की लड़ाई शुरू हो चुकी हैं ...!!!!
चल तू बैठ....!मैं परोसती हूँ
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रात के करीब दस बजे, बिट्टू काम से वापस आया....और उसने सबसे पहले गौरी को और धाय माँ को आवाज़ लगाई.....
गौरीइइइइइइ........
माँआआआआआआ.......
कहाँ हो आप दोनो जल्दी से बाहर आओं!!!!
बिट्टू की आवाज़ सुन दोनों बाहर आते हैं....
क्या हुआ भईया.....इतने खुश क्यूँ हो....?
आँखे बंद कर तो बताऊँ!
बताओं ना???ठुनकते हुए गौरी ने कहा
पहले आँखे बंद!!!!
हमममम.....लो....कर ली आँखें बंद!अब तो बता दो....
हाथ आगे कर अपना.....बिट्टू ने कहा
गौरी ने हाथ आगें बढ़ाया तो बिट्टू ने पाँच पाँच सौ की चार नोट निकाल कर उसके हाथ पर रख दी!!!!
अब आँखें खोल!!!!
अपने हाथ पर दो हजार रुपये देख गौरी अचरज में घिर आई..!!!उसने सवालिया नज़र से बिट्टू की ओर देखा....
गीता चाची ने दियें हैं....हजार रुपये जो तूने आज कपड़े भेजे ना उसके और हजार रुपये अंडवास और दस झबलो के लिए....उन्होंने तेरे काम की बहोत बहोत सरहाना की हैं!!!!उन्हें बहुत पसंद आया तेरा भेजा हुआ सामान...!!!
अररररे वाह....!!!!!माँ देखा आपने????किसी की थोड़ी सी मदत करने का नतीजा!!!ख़ुशी से चहकता हुए गौरी ने कहा
हाँ बेटा!!!धाय माँ बोली
मैंने हमेशा तुम्हें और भईया को देखा हैं छोटे से छोटे काम को अति उत्साह से करते हुए...!!तुम्हारी ही तो सीख हैं माँ कि कोई भी काम छोटा या बड़ा होता और सच्चाई से किया काम...फलीभूत होता ही हैं....!!!!अब माँ इन पैसों से मैं एक सिलाई मशीन लाऊँगी और उसकी मदत से तरह तरह के कपड़े सिलाई करूँगी....अब हमारे दिन जरूर फिरेंगें......माँ तुम...मैं...और भईया हम तीनों काम करेंगे और देखना....एक दिन हम औरो को भी काम देने लगेंगें....!!!
देखना तुम मेरी पढ़ाई का खर्च मैं कितनी आसानी से निकालती हूँ अब.....मैं उन में से नहीं जो अपने खुद के खर्च के लिए भी घर वालों का मुँह ताकें.....अब मैं आप लोगों की जिम्मेदारी बराबर में बाँट सकती हूँ ...तुम दोनों ने कितनी तकलीफ़े उठा कर मुझे पढ़ाया हैं माँ .....मैं अच्छें से जानती हूँ ......अब मेरी बारी हैं .....जब तक मेरी परीक्षा का रिजल्ट नही आता मैं सिलाई का काम करूँगी और रिजल्ट आने के बाद मैं मेरी वकालत शुरू करूँगी...तुम देखना माँ ....अब हम कभी भी किसी चीज के लिए तकलीफ़ नहीं पाएंगें.....कभी नहीं...हमारी तकलीफ़ के दिन बीत गए भईया....तुम्हारी छोटी बहन तुम्हारे साथ खड़ी हैं हर कदम अब!!!
माँ....मैं ये पैसे भगवान के चरणों को छुआ कर लाती हूँ....!!!
धाय माँ और बिट्टू दोनों की आँखे गौरी की ख़ुशी देख भर आई.....और दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा....और दोनों रोते रोते भी मुस्कुरा देते हैं ....!!!!
तीनों अपने अपने तरह से जिन्दगी की मुश्किलें आसान करने में लग जाते हैं....पर कहते हैं ना, जिन्दगी हर क़दम एक नई जंग हैं.....धाय माँ, गौरी और बिट्टू इन तीनों की जिन्दगी का असली संघर्ष तो शुरू होने वाला था......
और संघर्ष के जनक.....ठाकुर अखिलेश प्रतापसिंह......इस वक्त बड़ी हवेली में एक पाँच सितारा होटल का नक्शा खोल कर बैठे थें.....!!!!!
आगे क्या होगा....कल के भाग में
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धन्यवाद....🙏🙏🙏
✍✍मौलिक एवं स्वरचित वर्षा अग्रवाल द्वारा....
बहुत ख़ूब 👌... अगले भाग की प्रतीक्षा में 👍
ReplyDeleteThanks alot....please stay connected for next part....
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