Thursday, 6 August 2020

बुलंद हौसलें - (भाग -3)








माँ ओ माँ कहाँ हो तुम???गौरी धाय माँ को आवाज देतीं हैं.....

धाय माँ रसोई से निकल कर आती हैं....उनकी आंखें लाल लाल होती हैं.....गौरी उन्हें देख चौंक गई....माँ क्या हुआ आपकों आप रो रहें हो..... ????क्या हुआ? किसी ने कुछ कहा क्या आपसे??क्यूँ रो रहें थें आप? बताओं ना माँ.....

अररररे मिर्ची के हाथ लग गए आँख में....!मैं भला क्यूँ रोने लगीं....मैं तो तेरी विदाई पर रोऊँगी....

क्या माँ आप भी?आपने तो ड़रा ही दिया मुझें.....!!अच्छा यें लो, ठकुराईन ने दियें यें पैसे और यें बैग....जाने क्या हैं इसमें??

कितने पैसे हैं???

नहीं पता माँ..उन्होंने कहा कि माँ को दे देना! सो तुम्हें दे दिए.....तुम ही देखों कितने पैसे हैं और इस बैग में क्या हैं....

धाय माँ बैग खोल कर देखतीं हैं तो उसमें सुंदर सी साड़ी होतीं हैं एक सलवार कमीज के साथ...

गौरी देख बेटा...ठकुराईन ने कितनी सुंदर साड़ी और सलवार कमीज दिया हैं!!और देख पूरे पच्चीस सौ रूपए दिए हैं! बजार की किमत से पूरे हजार रूपए उपर!

कमाल हैं माँ ठकुराईन भी....मुझे भी खाना खिला कर भेजा हैं! ऐसे व्यव्हार कल रहीं थीं जैसे मेरी माँ हो.....

क्या बोल रहीं हैं गौरी...मैं हूँ तेरी माँ और कोई नहीं हैं...तुझे मुझसे कोई अलग नहीं कर सकता....कोई भी नहीं....!तू और बिट्टू मेरे बच्चे हो...सिर्फ मेरे!!!कांप उठी धाय माँ गौरी की बात सुनकर....

अररररे माँ क्या हुआ तुम्हें???मैंने तो मजाक में कहा था....और हाँ....मैं और भईया सिर्फ आपके हैं....खुद भगवान भी आकर कहें ना कि आप मेरी माँ नहीं हो तो मैं नहीं मानूंगी....भले ही तुमने हमें अपनी कोख से जन्म नहीं दिया माँ पर तुम हमारे लिए यशोदा से कम नहीं माँ..!जन्म देने वालों ने तो पग पग ठोकर खाने छोड़ दिया....तुम नहीं संभालती हमें तो जाने हम कब का मर गए होते...!!शांत स्वर में गौरी ने कहा.....माँ मैं नहीं जानती कि मेरे असली माँ बाप कौन हैं? वो जिंदा हैं या मर गए..!मैं बस इतना जानती हूँ कि मेरे पहचान तुम से थी....तुम से हैं और तुम से रहेंगी...!!!

हमममम...कभी कभी अतीत की परछाइयां बहुत गहरी होती हैं....जो इंसान के वर्तमान और भविष्य दोनो को जहरीला बना देती हैं....जाने अंजाने में उठाया कदम.....गले की फांस बन जाता हैं....पर मैंने कुछ गलत नहीं किया था.....हालातों की मार ही ऐसी थी कि........!!!!

छोड़ो ना माँ....तुम गलत हो ही नहीं सकती! तुम तो भगवान भी गलत करे ना तो उसके कानों को खिंच सीधे रास्ते पर ले आओं.....जितना भरोसा तुम पर हैं ना......उतना भरोसा तो मुझे ख़ुद पर भी नहीं..!!मेरी अच्छी माँ जल्दी से मुस्कुरा दो अब.....!!!

गौरी....धाय माँ ने गंभीर हो कर पुकारा.....!

क्या माँ???प्रश्नवाचक नजरों से गौरी ने धाय माँ को देखा

कभी कोई तुम्हें लेने आएगा...तो क्या तुम दोनों चले जाओगे???मुझे अकेला छोड़ कर??आँखो में आँसू भर धाय माँ ने कहा 

कैसी बात कर रहीं हो माँ?????तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी मैं....!!!हाँ,  तुम ससुराल विदा कर दोगी तो.....तो....तो.....तो भी नहीं जाऊँगी.....!!!!
मेरी माँ हो आप.....और उससे पहलें मेरी सहेली हो....अब जल्दी से हँस दो.....वरना मैं आपको गुदगुदी करूँगी...!!!!हँसो.....हँसो नाआआआआआ.....

गौरी की बात पर धाय माँ मुस्कुरा दी और उसे कस के गले लगा लिया.....जैसे ख़ुद में छुपा लेना चाहती हो...!!!!गौरी अच्छी तरह से समझ रहीं थीं के कुछ बात हैं जो धाय माँ को परेशान कर रहीं हैं....! पर उस वक्त गौरी ने चुप रहना मुनासिब समझा।

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वृंदा देवीईईईईईई....... बाहर निकलो.....!!!!!वृंदा पांडे......बाहर निकल.....!!!!!बिट्टू की गुस्से में भरी आवाज़ सुन गौरी चौंक उठीं.....!!!वो भाग कर बाहर आई.....भईयाआआआआ.....धाय माँ तो मंदिर...... 

धाय माँ....हुँह...... कौन सी माँ...???काहे की माँ.....गौरीईईईई......

भईया....वो माँ हैं हमारी...!!!

नहीं हैं माँ...!!!बिलकुल नहीं हैं....वो तो नागिन हैं जो बचपन से तेरी और मेरी खुशियों पर कुंडली मारे बैठी हैं......

छन्ननननननन......धाय माँ के हाथ से पूजा की थाली गिर जाती हैं, बिट्टू की बात सुन के.....

ओहहहह.....तो वृंदा देवी मंदिर गई थीं....!!!क्या मांगा भगवान से????यही मांगा होगा ना की हमें तुम्हारे बारे में और तुम्हारी हकीकत के बारे में कभी पता नहीं चलें....!!!हैं नाआआआआआ.....!!!!!पर वृंदा देवी जी.....आपका सारा राज़ खुल गया हैं....!!!


कौन सा राज़ भईया????गौरी ने पूछा 

गौरी तू जानती हैं हम कौन हैं????हम चौधरी भानुप्रकाश की औलाद हैं....वहीं चौधरी भानुप्रकाश जिनका लखनऊ में कपड़े का कारोबार हैं....जानती हैं हमारे नाना मामा कौन हैं....हम ठाकुर ब्रजमोहन के नाती हैं.....वहीं ठाकुर ब्रजमोहन जो मोहननगर के ठाकुर हैं.... जिनके आगें पीछे लोग हाथ बाँधे घूमते हैं!!!!हम....गौरी हम.... चौधरी और ठाकुरों के खानदान के वारिस हैं....जिन्हें इस औरत ने......अगवा कर लिया था.....!!!या सरल शब्दों में कहूँ कि इस औरत ने हमें चुरा लिया था, हमारे माँ बाप से.....क्यूँकि यें बेऔलाद थीं.....!!!इसने हमसे हमारा बचपन चुरा लिया....इसने हमारी इच्छाओं का गला घोट दिया....हमें पैसे पैसे को मोहताज कर दिया!!!गौरीईईई.....इसने हमसे हमारी असली पहचान तक छुपा ली.......इतना कहतें कहतें बिट्टू गौरी के गले लग फूट-फूट कर रोने लगा...!!!!

बिट्टूअअअअअ......मेरी बात सुन बेटा....तुझे किसी ने ग़लत बताया हैं......किसने बताया तुझे यें सब????बिट्टू के सर पर हाथ फेरते हुए धाय माँ बोलीं....तू मेरा बेटा हैं रे....रोते रोते धाय माँ बोलीं  

हाथ हटा लो वृंदा देवी अपना तुमममम....!!!धाय माँ का हाथ झटकते हुए बिट्टू ने कहा....तुम जानना चाहतीं हो मुझे किसने बताया हैं.....रूको......मैं उन्हें लेकर आता हूँ.....इतना कह कर बिट्टू बाहर निकल गया....

गौरी चुपचाप खड़ी धाय माँ को देख रहीं थीं.....!!

कुछ देर बाद.....

कैसी हो वृंदा????किसी ने धाय माँ से पूछा...

धाय माँ ने उस व्यक्ति को गौर से देखा.....फिर कुछ समय बाद उसको पहचान कर बोलीं.......सुमेररररररर.......!!!!!

आहा..!!!आखिर तुमने मुझे पहचान ही लिया.....!!!हाँ मैं सुमेर....चौधरी भानुप्रकाश का छोटा भाई.....इन दोनों का चाचा...!!!मान गए वृंदा तुम्हें...!!!क्या खूब नमक का कर्ज चुकता किया हैं तुमने....!!!भानु भईया के बच्चों को अगवा कर...!!!तुमसे बड़ी पापन और कोई नहीं हैं!!!तुमने मेरी माँ समान भाभी से उसके बच्चे छीन लिए!!!!कितना भरोसा करती थीं वो तुम पर....और तुम....तुम तो आस्तिन का सांप निकली...!!!!छी....छी...छी......हवेली के राजकुमार- राजकुमारी को तुमने ऐसे दडबे में रखा हैं.....???अब मैं इन्हें मेरे साथ लेकर जाऊँगा...!!!मैं मेरे बच्चों को इस बुचडखाने में नहीं छोड़ सकता...!!

सुमेररररररररर......खबरदार!!!!मैं तुम लोगों की असलियत अच्छें से जानती हूँ.....!!मेरे बच्चों पर बुरी नज़र डाली तो मैं तेरी जान ले लूँगी....!और सुन यें जो तू अपनी गंदी जुबान से मेरे बच्चे...मेरे बच्चे बोल रहा है ना......तुम लोगों की मंशा मैं बहुत अच्छी तरह जानतीं हूँ.....दफ़ा हो जा यहाँ से.....वरना अपने पैरों पर जानें लायक नहीं रहेगा.....मत भूल मैं एक माँ हूँ....अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए तेरी जान ले भी सकती हूँ और अपनी जान दे भी सकती हूँ....!निकल जा मेरे घर से....अभी के अभी....!!!!

बिट्टू बेटा....देख रहे हो ना...!!!यें औरत तुम्हें और गौरी को मेरे साथ आने नहीं देगी....जाने दो मैं चला जाता हूँ....बेचारे तुम्हारे माँ -बाप....औलाद के लिए तड़प तड़प कर ही मर जाएंगें.....क्या करें अब....!!ईश्वर की यही इच्छा हैं...गहरी सांस लेते हुए....सुमेर ने कहा......

नहीं चाचा...!हम आपके साथ आएँगे!बरसों हम अपनें माँ बाप से दूर रहें हैं....बरसों हम रोटी के एक एक टुकड़े के लिए तरसे हैं....बरसों से हम दिल की हर ख्वाहिश और इच्छा का दमन कर रहे हैं.....अब और नहीं....!!!हम हमारे माँ बाप का नाम पाएंगें अब....! चल गौरी...!!!

गौरी का हाथ पकड़ कर बिट्टू खींचकर लेकर जाने लगा....

नहींईईईईईई......तुम ऐसे नहीं जा सकतें.....मुझें छोड़कर नहीं जा सकतें इस तरह....!!!धाय माँ रोते रोते बोलीं......मैं पैर पकड़ती हूँ तेरे बेटा.....बोलतें बोलतें धाय माँ बिट्टू के पैर पकड़ने झुकती हैं....!!!!

माँआआआआआआआ.....!!!रूको......क्या कर रहीं हो????गौरी बिट्टू से हाथ छुड़ा कर धाय माँ की तरफ  भागी...

यें क्या करने जा रहीं थी माँ आप????किसी के पैर पकड़ने की जरूरत नहीं हैं आपको....आप ने जो कुछ किया था....उस का कोई ना कोई कारण जरूर होगा....आपने हमें  चुराया या अगवा किया... जो भी किया..कोई ठोस कारण होंगा....आपने हमें जो प्यार दिया हैं वो शायद हमारे सगे माँ बाप भी नहीं देते.....!खुद के मुँह में एक निवाला नहीं होता था आपके....पर आपनें हमें खिलाया....भरपेट.....! खुद के लिए एक कपड़ा नहीं लिया पर भईया और मेरे लिए हर दिवाली कपड़े आते हैं.... क्यूँ भईया आपने कभी देखने की कोशिश की इनकी साड़ी में कितने पैबंद हैं....कभी देखा हैं इन्हें किसी बात की शिकायत करतें हुए?? 

क्यूँ भईया भूल गए आपकों पढ़ाने इन्होंनेअपनी सोने की चेन बेंच दी थी....मेरे पढ़ाई के लिए इसी चोरररररर नेएएएए.....अपना मंगलसूत्र गिरवी रख दिया था!!!बोलो भाई कौन चोर करता हैं ऐसा????

शर्म आनी चाहिए आपको....इनका नाम लेने में!!आप और मैं इनकी जितनी पूजा करे कम हैं.... !!यें हमारी माँ थी....माँ हैं और माँ रहेंगी..!!!

और आपपपपप....हमारे चाचाश्री....सुमेर की ओर देखते हुए गौरी ने कहा......कहाँ थें अब तक???इतने बरसों से हम जिंदा हैं या मर गए ... आपने हमारी सुध ली????आज अचानक हम पर हक ज़माने आ गए आप???हम नहीं मानते आपको अपना..!आप की क्या गारंटी की आप सही में हमारे चाचा हो???

भईया...सबूत देखा क्या आपने?ये आदमी साबित करें कि यें सच कह रहा हैं ???आप इनके साथ जा रहें हो ना,  अगर रास्ते में इन्होंने आपको कहीं धक्का दे दिया तो.....!!!आपकी जान ले ली तो??या आपसे कोई ग़लत काम करवाया तो...????किसी अंजान पर मैं भरोसा नहीं कर सकतीं....!मैं मेरी माँ पर भरोसा करती हूँ...!मेरी यशोदा माँ.....मेरी धाय माँ पर.... !

श्रीमान सुमेर जी ....कृपया करके आप अपना रास्ता नापिए....!हमें कहीं नहीं जाना आपके साथ....और आप हमें जबरदस्ती लेकर जा भी नहीं सकते!!!हम दोनों बालिग़ हैं....तो कहाँ रहना हैं कहाँ नहीं हम...हमारा निर्णय लेने में समर्थ हैं....!!!तो आपसे हाथ जोड़ विनंती हैं.....अभी के अभी निकल जाएं......Gettttttttt outtttttttttt......!!!!पूरी ताकत से चिल्लाई गौरी.....


बेटी मेरी बात सुनों....सुमेर ने कुछ कहने की कोशिश की......

I said Gettttttttt losssssssttttttttt........निकल रहें हो तुम या मैं सारा लिहाज़ भूल तुम्हें धक्के मार के निकालूँ???गौरी गरजते हुए बोलीं 

जा रहा हूँ बिटियाँ....जा रहा हूँ....पर तुम ग़लत कर रहीं हो..... बहोत ग़लत.... जिस दिन तुम्हें इस वृंदा की असलियत मालुम पड़ेगी....तुम पछताओंगी....!!!!ये औरत......,,,

एएएएए.....सुमेरसिहंहहहह.....अदब से बात कर.....वो माँ हैं हमारी.......गरजा बिट्टू......तेरी बातों मे आकर वैसे ही मैंने इस देवी को बहोत जलिल करा हैं....अब तेरी भलाई यहाँ से नौ दो ग्यारह होने में ही हैं.....वरनाआआआ.......गौरी जा पीछे से लठ्ठ लाआआआ........लाख बुरी हैं यें पर लाखों में एक माँ हैं....समझे तुम.......चलो निकलोओओओओओ....... 

जा रहा हूँ......बहुत जल्दी वापस आऊंगा.....देख लूँगा.....तुझे मैं वृंदा.......सुमेर फुफकारते हुए बोला 

पहले हमें देख लेना.....हम हमारी माँ के दाएँ बाएँ हाथ हैं......हमारी माँ के प्रहरी.....!!!!!दोनों भाई बहन एक साथ बोलें..!!!!


आगे क्या होगा???क्या था धाय माँ का सच???क्यूँ धाय माँ बिट्टू और गौरी को अगवा करके लाई थीं????

इन सब प्रश्नों के उत्तर अगले अंक में.....

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धन्यवाद 

✍✍मौलिक एवं स्वरचित...वर्षा अग्रवाल द्वारा 🙏🙏🙏  









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