जो सिर्फ तेरे साथ हो,
कैसे से वो पल सजाँऊ,
जिसमें सिर्फ तेरी बात हो......
कुछ पलों में बन गया,
सदियों का रिश्ता,
कैसे इस रिश्ते पर,
तेरे नाम की मुहर लगाँऊ.......
पलकों के साये में,
हैं बिन देखे ख्वाब,
कैसे हर तसव्वुर में,
ख्वाब तेरा ही सजाँऊ......
रूठ गया वक्त,
जब से तुम गयें,
कैसे तुम्हें मनानें,
आवाज़ मैं लगाऊँ.....
कंगन, बिंदी, झुमके,
हो गयें सूने सूने,
कैसे वो श्रृंगार करूँ,
जिससें तुझे रीझाँऊ......
रूठने की तुम्हारी,
अदा हैं निराली,
कैसे तुम्हें मैं,
मनाना सिखाँऊ.......
वक्त बेवक्त तक़रार,
करते हो तुम,
कैसे तुम्हें वक्त बेवक्त,
प्यार करना सिखाँऊ .......
हद में रहना,
कसुर है, इश्क़ में,
कैसे तुम्हें हर बंधन से,
आजाद मै कराँऊ.......
खुशबू तेरे नाम की,
बिखरी हैं, हर ओर......
कैसे तेरी खुशबू से,
प्यार मैं मेरा महकाऊँ.......
साँस के हर तार में,
बस नाम हैं, तेरा,
कैसे तेरे वक्त पर,
मेरे नाम के पहरे लगाँऊ.......
वक्त की बंदिश से परे,
कैसे..हर वक्त तेरे साथ.....बिताऊँ.....!!!!!!
✍✍नेहा चौधरी की क़लम से 🙏🙏
वाह-वाह
ReplyDeleteThanks mam
DeleteKaise vo sringar kru jisase tujhe rijhaun.... Wah
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteYe poem Jaise Baaris ki paheli Bund ho dil ko Bhigo ke chali 👌💘👍
ReplyDelete@ Saahil