Wednesday, 16 September 2020

कुबेर का खज़ाना

                       "कुबेर का खज़ाना" 




माँ ओ माँ....मेरी अच्छी माँ....दुलारी माँ......प्यारी प्यारी माँ.....!


अरे....बसससस.....बोल क्या चाहिए? 


होओओओओ....माँ तुम्हें प्यार करूँ तो क्या जरूरी हैं कुछ चाहिए ही मुझे? क्या मैं ऐसे ही प्यार नहीं करती तुम्हें....? जाओ नहीं बोलती मैं आपसे....राधा ठुनकते हुए बोलीं  


होओओओओ....तो क्या मैं तुझसे मजाक नहीं कर सकती?जा अब मैं नहीं बोलती तुझसे!सुमित्रा जी ने झूठा गुस्सा करते हुए कहा


ओह....मेरी बिल्ली मुझको ही म्याऊँ.....!राधा हँसते हुए बोलीं 


माँ बेटी की नोक झोंक हो गई हो....तो निकलूं मैं अब...? भाई मुझे भी काम पर जाना हैं...पहले ही इस करोना की वजह से चार महीनों बाद आज जा रहा हूँ....लेट नहीं होना चाहता....!


पापा मुझे समीक्षा के छोड़ दो न...!हम दोनों साइंस का अगला चैप्टर करने वाले है आज...!


चल....!


अच्छा माँ आती हूँ.....! चार बजे तक....!


अरी सुन तो...तू कुछ बोल रही थी ना? बोल ना क्या चाहिए तुझे....!


अभी अब जाने दो....माँ....शाम को बात करती हूँ....!


ऐसी भी क्या पढाई राधा...जो तू पिछले एक महीने से रोज समीक्षा के जाती है.....मुझे तो तू भूल ही गई है जैसे....?शिकायत भरे लहजे में, सुमित्रा जी ने राधा को कहा....


ओ हो माँ....!आप भी ना...!स्कूल तो बंद हैं, तो सेल्फ स्टडीज करना पड़ रहा है....फिर बिना पढ़े मन भी तो नहीं लगता....स्कूल वालों ने साढ़े चार हजार की बुक्स पकड़ाई है तो कम से कम कुछ तो पढ़ा जाएं.....!


हाँ ना राधा....!एक तो लाकडाउन, तेरे पापा की कोई इन्कम नहीं ....उपर से ये बुक्स लेना कम्पलसरी कर दिया स्कूलों ने.....चाहें पढ़ाई हो या ना हो....!लगता ही नहीं इस साल स्कूल खुलेंगें भी या क्या...! बड़ी मुश्किल से कैसे भी करके घर ख़र्च चला रहे थे...अब तो इस महीने का राशन भी कैसे आएगा यहीं सोंच है....!


ओ हो सुमित्रा....!क्या सुबह सुबह बेकार की बातें कर रही हो....???बेटा तू चिंता मत कर...!मेरे पास बहुत पैसे है....कल परसो में राशन भी लाँऊगा और तुम दोनो के लिए आइस्क्रीम भी....!


पर पापा.....


तू पर वर छोड़ और चल जल्दी से.....! मैं हूँ ना.....!शाहरुख़ खान के अंदाज में जतिन जी ने कहा.....तो दोनों माँ बेटी खिलखिलाकर हँस पड़ी.....


              _____________________


उसी रात को,


सुनों जी....इस महीने का खर्च कैसे चलाएंगे?? बस दो तीन दिन का राशन हैं अब...!मैं सोंच रहीं थी के मेरे कान के बूंदे बेच दूँ....!धीरे-धीरे फुसफुसाते हुए सुमित्रा जी ने कहां 


नहीं सुमित्रा....ऐसा सोंचना भी मत...!मैं कुछ न कुछ करता हूँ...!किसी से उधार लेता हूँ...!आज सेठ बोल रहें थे कि दो तीन लोगों की छटनी करेंगे....मेरा तो कलेजा मुंह को आ गया उनकी बात सुन कर!अगर मुझे भी निकाल दिया दो? 


शुभ शुभ बोलो जी....!हे भगवान ऐसा कुछ मत करना....वरना क्या होगा हमारा....आपसे तो कहा था, इतने महंगे स्कूल में मत दिलाओ दाखिला राधा को....पर आप ने एक ना सुनी मेरी.....!अब क्या करेंगे हम.....सुबकते हुए सुमित्रा जी बोली


राधा की माँ....एक ही तो औलाद है हमारी इसके लिए क्या मैं इतना भी नहीं कर सकता हूँ....उसने हमेशा दिल लगा कर पढ़ाई की है....दसवीं में तो मेरिट लिस्ट में नाम था हमारी राधा का......और अब तो बारवी का साल है उसका...मैं उसे किसी तरह की कोई टेंशन नहीं देना चाहता.....!सब ठीक ही चल रहा था....वो तो ये करोना की वजह से....इतनी दिक्कत आ गई है....पर तुम हौसला रखों सब कुछ ठीक हो जाएगा.....!चिंता भरे लहजे में, जतिन जी ने कहा


उस ईश्वर पर विश्वास रखों.....परेशान न हो और सो जाओ....!वो सब ठीक करेगा.....!सुमित्रा जी ने कहा



हममममम.....!


आने वाले कल की चिंता में , दोनों पति पत्नी के आँखों से नींद कोसों दूर थीं...!

                     _________________ 


अगली सुबह,


पापा.....ओ पापा......!


क्या हुआ मेरी राजकुमारी को.....?चाय पीते पीते जतिन जी ने पूछा  


पापा मुझे सौ रूपये चाहिए.....!


राधा की बात सुन, जतिन जी के हाथ से कप छूटते छूटते बचा....!


स....सौ रूपये...! क्यूँ चाहिए बेटा....?


पापा हमें ना एक सर टयूशन पढ़ा रहे हैं मैथ्स की...!उन्होंने कहा की वो मुझे और समीक्षा को कम रेट में पढ़ा देंगे....अभी लाकडाउन में खर्च उठाने उन्हें टयूशन चाहिए थी....वो अपने घर में एकलौते कमाने वाले है....!कल भी उन्होंने क्लास ली थी....तो उनके ही नोट्स बनाने मुझे एक रजिस्टर खरीदना है......जल्दी से दे दो ना सौ रूपये....अच्छा आप बैठो मैं ही ले लेतीं हूँ....!


अरी राधा सुन तो.....!सुमित्रा जी ने कुछ कहना चाहा 


नहीं ना माँ....अभी टाईम नहीं है कुछ सुनने का....


पापाआआआआ......आपकी जेब से सौ रूपये लिए है....और बाकी के सारे पैसे वापस रख दिये हैं संभाल कर.....देख लेना आप......!!जतिन जी को आवाज़ देते हुए, राधा ने कहा


राधा की बात सुन, जतिन जी और सुमित्रा जी दोनों चौंक पड़े और आँखों - आँखो में एक दूसरें को देखा....सुमित्रा जी जाकर जतिन जी का पर्स ले आई.....!


जतिन जी ने पर्स खोला....उसमें पाँच हजार रुपये थे और एक चिट्ठी.....


"पापा, 


आपकी बेटी के होते, ना आपको उधार मांगने की जरुरत पड़ेगी....ना माँ को अपने बूंदे बेचने की..!ये मेरी जिंदगी की पहली कमाई है पापा....चाहती थी आपके और माँ के हाथ पर रखूँ...!पर...मुझसे आपकी आँखो के आँसू देखे नहीं जाते इसलिए....बस यही एक तरीका समझ आया.....!


माँ,


यही बताना चाहती थी कल,समीक्षा को और चार और सहेलियों को टयूशन दे रही हूँ....मैथ्स और साईंस की.....पिछले महीने से....और उन्होंने एक एक हजार रुपये दियें हैं....!पूरे पाँच हजार रूपये है माँ.....!अब तुम जानो और तुम्हारा घर ख़र्च....हाँ....आज शाम को खीर बना लेना....भगवान को भोग चढ़ाने.....!


चिठ्ठी पढ़ने के बाद, जतिन जी और सुमित्रा जी दोनों की आँखो से आँसुओ की अविरल धारा बह उठी....!


   

गर्व से सीना तान के जतिन जी ने कहा, देखा सुमित्रा....मेरी बेटी ने उसके बाप की जेब को कुबेर का खजाना बना दिया है...!!!अब हमें कभी कोई दिक्कत नहीं आएंगी....कभी भी नहीं.....शायद इसीलिए लोग कहते हैं....."बेटियाँ लक्ष्मी होती है"....भले ही बाप के घर उनका बसेरा कुछ ही दिनों का होता है.....पर बेटी....बेटी होती है....!


मौलिक एवं स्वरचित रचना,


✍✍नेहा चौधरी की क़लम से🙏🙏


Saturday, 12 September 2020

पवित्र बंधन



 नयन......!जोर से चिल्लाई, सुधा जी....तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई....इतनी घटिया बात सोंचने की....???


चिल्लाओ मत माँ....!तुम्हारे चिल्ला ने से हकीकत नहीं बदल जाएंगी.....उम्र देखी है तुमने अपनी....इस उम्र में तुम ये सब कर रहीं हो....!इतनी बेशरमी कहां से आ गई तुम में माँ....?इस सुकेश साहनी की वजह से तुम इस बेशर्मी पर आई हो न....? इसको तो मैं अभी के अभी पुलिस के हवाले करता हूँ.....!इसकी बेटी को बुलाया है मैंने....वो भी तो देखे अपने बाप की करतूत को....!


मुझे तो यकीन ही नहीं था कि तुम ऐसी ओछी हरकत करोगी....जब जीतू ने मुझे बताया कि तुम यहाँ रह रहीं हो...तो मुझे लगा वो मज़ाक कर रहा है....पर फिर उस दिन तुम्हें वीडियो काल किया तो सब समझ आ ही गया मुझे....माँ तुम ऐसा कैसे कर सकती हो...?तुमने एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोंचा....अपनी बहू के बारे में नहीं सोचा.....क्या जवाब दूंगा मैं दुनिया को..??आपका और इस सुकेश साहनी का क्या रिश्ता है.....!तुम ने तो मुझे जीते जी मार डाला माँ......!


अभी के अभी चलो मेरे साथ.....!मैं एक पल के लिए भी तुम्हे यहाँ नहीं छोड़ूगा अब....समान पैक करो अपना......गुस्से से थरथराते हुए नयन ने कहा 


और ये आपसे किसने कहा कि माँ आपके साथ आ रहीं है.....नयन ने चौंक कर गेट की ओर देखा.....


एक तीस वर्षीय युवती खड़ी थी......वो धीरे-धीरे भीतर आई.....


हैलो मिस्टर नयन माहेश्वरी....मैं सुदिप्ता.....डाँ.सुदिप्ता साहनी....और इस वक्त मेरे घर में खड़े होकर आप....मेरी माँ पर और मेरे बाबा पर चिल्ला रहें है....मैं चाहूँ तो अभी के अभी असाॅलट के जुर्म में आपको अरेस्ट करवा सकती हूँ.....!


सुदिप्ता की बात बींच में काटते हुए, नयन ने कहा....excuse ji ma'am ....शायद आप ये भूल गई है कि ये मेरी माँ है....और इन्हें आपने जबरन अपने घर में रख रखा हैं....!तो ये पुलिस की धमकी....आप को मैं भी दे सकता हूँ.....


हा हा हा हा हा हा ह....I think you are stupid.....!चलो मान लिया कि सुधा माँ को हमने जबरन अपने घर में रख रखा हैं.....पर क्या आप इस जबर्दस्ती का कारण नहीं जानना चाहते हैं....??


क्या कारण हैं....साफ साफ दिख रहा है.....आपको भी दिखा दूँ....एक विधवा की मांग में सिंदूर, ये भरी भरी   चूड़ीया....और ये साज श्रृंगार.....मेरी माँ को बुढ़ापे में जवानी फूट रहीं हैं.....!तंज कसते हुए नयन ने कहा  


तड़ाक....!!!!जोर का थप्पड़ पड़ा नयन के गाल पर.....


मिस सुदिप्ता.......!!!Have u lost your senses......How dare u to slap me....????


मुझमें हिम्मत भी हैं....और हक भी हैं थप्पड़ मारने का.....क्यूँकि आप जिसके लिए बात कर रहे है वो मेरी माँ है.....मिसेस सुधा साहनी....!आपने इनका साज श्रृंगार देखा पर....जो देखना चाहिए वो ही नहीं देखा.....कहते हुए सुदिप्ता, सुधा जी की सारी को थोड़ा उपर कर देती है......!!


नहींईईईईईई......माँआआआआआ.....माँ ये क्या हैं माँ....?कब हुआ ये....?तुम्हारे पाँव.....जयपुर फुट.....ओह माँ कब हुआ ये... माँ कब हुआ......सुधा जी को गले लगा, नयन रो पड़ा


ये तब हुआ मिस्टर नयन जब आप माँ को छोड़ लंडन जा बसे थे....आपने सोंचा तक नहीं कि अकेली जान कैसे जीएगी...?किसके सहारे जी पाएँगी....?सुदिप्ता बोली


याद है नयन, आज से चार साल पहले, मैंने तुझे कितने काल्स किये थे....उन दिनों मैं डेंगू की चपेट में आ गयी थी....शरीर में रत्ती भर हिम्मत नहीं बची थी....कि डाक्टर को दिखा सकूँ या दवा पानी कर सकूँ....कैसे भी कर के एक दिन घर से निकली थी पर कमजोरी की वजह से चक्कर खा कर गिर पड़ी....बींच सड़क....!पीछे से आते मेटाडोर ने मेरे पैर के उपर से.....कहते-कहते सुबक पड़ी सुधा जी....!


इनको मेरे हास्पीटल जिस हालत में लाया गया था, वो मैं बयां नहीं कर सकती हूँ....दस घंटे के आपरेशन के बाद इनको बचाया जा सका था....पर शुगर पेशेंट होने की वजह से इनके पैर को काटना पड़ा था....!सुदिप्ता ने सुधा जी के आँसू पोंछते हुए कहा....


हाँ....जानते हो नयन मैं तो जीना ही नहीं चाहती थी...पर ये बच्ची मुझे अपने घर यहाँ लेकर आ गई....इसने और साहनी जी ने मेरी इतनी सेवा की जितनी मेरा कोई सगा भी नहीं करे....पूरे दो साल लगे मुझे ठीक होने में....!सुधा जी ने कहा....और उन दो सालों में मुझे परिवार का सुख मिला..वो केयर मिली जो न तुम्हारे पिता कभी दे पायें थे और न तुम...!मैंने हमेशा मेरी हर खुशी का गला घोटा था....कभी तुम्हारे लिए....कभी तुम्हारे पिता के झूठे अहंकार के लिए....! इन दोनों को पा कर मैं स्वार्थी हो गई थी...मैं खुद इन्हें छोड़ कर नहीं जाना चाहती थी.....!


मैं आपको जाने भी नहीं देती माँ....!आपने मुझे वो प्यार दिया हैं जिससे मैं बचपन से महरूम थी...!मेरी माँ तो मेरे जन्म के कुछ समय बाद ही चल बसी थी....पापा ने मुझे बहुत कुछ दिया...पर माँ की कमी आपने पूरी की....!


और इसीलिए नयन जी...मैंने इन्हें मेरी माँ बना ही लिया....इनकी और बाबा की शादी करा के....!इन दोनों का रिश्ता उतना ही पवित्र और निर्मल हैं जितनी पवित्र मंदिर में भगवान की मूरत होती है...!ना कोई छल....ना कपट....!हाँ....एक दुसरे के पूरक जरूर बन गए हैं ये दोनों अब.....!उम्र के इस दौर में सबसे ज्यादा जरूरत एक जीवन साथी की होती हैं.....!जो माँ की तरह ख़याल रखें, पत्नी सी फ़िक्र करे, बेटी सा डांट दे और दोस्त सी बातें करे....!आपने जिस देवी को बेशर्म और बदचलन कहा हैं न, वो दरअसल दुनिया में सबसे पाक है.....!हाँ इनका कसूर इतना ही था, बेटे बहू के होते हुए, ये इस दुनिया में नितांत अकेली थी.....!


बस करो दीदी.....!नयन, सुदिप्ता के पैरो में गिर पड़ा....मुझे मेरी ग़लती का एहसास हो गया है....मैं आप सब से माफ़ी मांगता हूँ....अपने छोटे भाई को माफ़ कर दो....!फिर सुकेश जी की तरफ देखतें हुए, नयन ने कहा....पापा......क्या इस बेटे के सर पर हाथ रखेंगे?एक बार गले लगा लिजिए ना......सालो हो गए.....पिता के गले लगे.....!सुबकते हुए नयन ने कहा 


सुकेश जी ने, नयन को कस के गले से लगा लिया.... सुधा जी और सुदिप्ता दोनों.....आकर सुकेश जी और नयन के गले लग गई....!


चारों की डोर जो कि एक पवित्र रिश्ते से बंधी थी आज और मजबूत हो गई....  क्यूँकि ये डोर समय और नियती ने बाँधी थी न की स्वार्थ की पृष्ठभूमि ने....!! 



    ~~~~~~~~~~समाप्त~~~~~~~~~~~~



मौलिक एवं स्वरचित रचना,

नेहा चौधरी  द्वारा....🙏🙏


  














Friday, 11 September 2020

इश्क़ तेरा....!!

 


तेरे इश्क़ की खुमारी में,
ऐसे हम गुम है,
बताओं इश्क़ हैं खुबसूरत,
या खुबसूरत हम है...?

नशे की बात करती,
तेरी ये आँखे,
पलकों की छाँव में,
बनाएं है हजारो आशियाने.....!

होठों की ये मुस्कान,
जैसे हो तीर-कमान,
बेसुध सी,बेखबर सी,
हो गई मेरी रूह और जान....

मेरी हर सोंच पर,
पहरा है तेरा,
ताना बाना बुनती हूँ,
कैसा होगा चेहरा तेरा....?

काश तसव्वुर से निकाल,
तुझे मैं सवार सकूँ,
तेरी बाहों में ही,
जिंदगी मैं बीता सकूँ....!

रोज धड़कने बेतरीब रहतीं हैं,
तुझे मिलने की आस में,
हर साँस मेरी,
उम्मीद के करीब रहती है....!

तुम मिलों न मिलों,
पर तुम मेरे साथ हो.....
हो दुआ कबूल और,
तेरे प्यार की बिन मौसम बरसात हो......!!

✍✍नेहा चौधरी की क़लम से 🙏🙏