आज फिर मझधार में हैं,
आज फिर किसी के इंतजार में हैं
आज धुँधला सा है, मंज़र सारा,
आज फिर जिंद परेशान सी हैं.......
आज कदमों में जान नहीं,
आज फिर दिल में कोई अरमान नहीं,
आज रूह से डोर कटी सी हैं,
आज फिर जिस्म में जान नहीं.......
आज एक सवाल ज़ेहन में हैं,
आज फिर किसी सवाल का जवाब नहीं,
आज दूर क्षितिज पर हैं एक सपना,
आज फिर टूटने की चुभन सी हैं......
आज भटक रहें साहिल पर,
आज फिर आहट तुफान की हैं,
आज चंद पलों के फ़ासले,
आज फिर दूरी जमी-आसमान सी हैं ....
आज शाँत गहरा सागर हैं,
आज फिर दरक गयीं हसरतें,
आज फिर दिख रही है मंजिल,
आज फिर राहें सुनसान सी हैं......
आज वक्त ने चलीं है चाल,
आज फिर आरज़ू बेहाल सी हैं,
आज फिर बटोरने लगीं हूँ ख्वाब,
आज फिर मुट्ठियों में ख़्वाहिश.....रेत सी हैं!!!!!!
✍✍नेहा चौधरी की क़लम से
🙏🙏🙏
वाह... बेहतरीन
ReplyDeleteThanks alot....
DeleteGood very good
ReplyDeleteThanks alot.....
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